General Introduction & Measurement Part 3

( प्रस्तावना और माप )

(General Introduction & Measurement)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Long Answer Type Questions

प्रश्न 1. विमीय समांगता का सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं ? विमीय समीकरणों के उपयोगों को सोदाहरण लिखें।
उत्तर- विमीय समांगता का सिद्धान्त (Principle of Homogeneity of Dimension) :-
विमीय समांगता का सिद्धान्त बताता है कि किसी भी भौतिक समीकरण के प्रत्येक पद की विमाएँ समान होती हैं। यदि प्रत्येक पद की विमाएँ समान नहीं हो, तो दिया गया समीकरण विमीय दृष्टि से गलत होता है। जैसे- S = ut + 1/2 at²
L.H.S = S = [ L ]
R.H.S = ut = [ LT⁻¹ ] = [ L ]
         = 1/2 at² = [ LT⁻² T² ] = [ L ]
अत: यह समीकरण विमीय दृष्टि से सही है।

● विमीय समीकरणों के उपयोग (Applications of Dimensional Equations) :-
विमीय समीकरण के निम्नलिखित उपयोग हैं-
(क) भौतिक समीकरणों की शुद्धता की जाँच करना v = u + at, जहाँ v अन्तिम वेग, u प्रारम्भिक वेग, a त्वरण तथा t समय है।
L.H.S. = v = [LT⁻¹]
R.H.S. = u = [LT⁻¹]
            = at = [LT⁻² T] = [LT⁻¹]
प्रत्येक पद की विमाएँ समान होने के कारण दिया गया समीकरण (सूत्र) विमीय दृष्टि से सही हैं।

(ख) भौतिक राशियों का पारस्परिक सम्बन्ध ज्ञात करना-सरल लोलक का आवर्त्तकाल  T, प्रभावकारी लम्बाई l तथा गुरुत्वीय त्वरण g में सम्बन्ध विमीय समीकरण की सहायता से स्थापित करना :-
माना कि T ∝ lg   T = K lᵃ gᵇ
दोनों तरफ की विमाएँ लिखने पर हम पाते हैं कि 
      [T] = [L]ᵃ [LT⁻²]ᵇ
या, [L⁰T] = [Lᵃ⁺ᵇ T⁻²ᵇ]
घातों की तुलना करने पर, a + b = 0       ....(1)
            तथा 1 = - 2b     ∴ b = -1/2   .... (2)
b का मान समीकरण (1) में रखने पर हम पाते हैं कि a = 1/2
∴ T = K (√l / √g )
या, T= K√l/g यही आवश्यक सम्बन्ध सूत्र है।

(ग) एक पद्धति के मात्रकों को दूसरी पद्धति के मात्रकों में बदलना :-
S.I. पद्धति में कार्य के मात्रक जूल को C.G.S. पद्धति में कार्य के मात्रक में परिवर्तित करना -
कार्य का विमीय सूत्र = [ML²T⁻²]
∴  a = 1, b = 2 तथा c = -2
जहाँ ,
M₁/M₂ = किलोग्राम / ग्राम = 1000/1
L₁/L₂ = मीटर / सेमी. = 100/1
T₁/T₂ = सेकेण्ड / सेकेण्ड = 1/1

समीकरण n₂ = n₁ [M₁/M₂]ᵃ [L₁/L₂]ᵇ [T₁/T₂]ᶜ
n₂ = n₁ [1000/1]¹ [100/1]² [1/1]⁻²
n₂ = n₁ × 10⁷
यदि n₁ = 1 हो, तो हम पाते है कि n₂ = 1×10⁷ = 10⁷
∴    1 जूल = 10⁷ अर्ग ।

(घ) किसी भी भौतिक राशि का मानक ज्ञात करना :-
वेग का विमीय सूत्र = [ M⁰LT⁻¹ ] = [ LT⁻¹ ] होता है।
अत: S.I. पद्धति में वेग का मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड होता है।

प्रश्न 2. त्रुटियों का परिकलन कैसे किया जाता है ? वर्ग माध्य मूल त्रुटि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- त्रुटियों का परिकलन (Estimation of Errors) :-
 यदि किसी भौतिक राशियों के मापन में अनेक प्रेक्षण लेकर उनका समान्तर माध्य ज्ञात कर लिया जाता है तो प्रेक्षित राशि का अधिक शुद्ध मान प्राप्त होता है। इसकी प्रामाणिक मान के निकट समीपता एक शद्ध नियतांक (h) के पदों में व्यक्त की जाती है, जो कि लिये गये प्रेक्षणों के लिए उचित होता है। हालांकि h की विमाएँ त्रुटि की व्युत्क्रम होती है। अत: व्यवहार में विभिन्न प्रेक्षणों के सेट की परिशुद्धता एक अन्य राशि के पदों में व्यक्त की जाती है जो कि h की व्युत्क्रमानुपाती होती हैं। 

भौतिक राशियों के विमीय सूत्र और S.I. मात्रक

भौतिक राशियाँ  -  विमीय सूत्र  -  S. I. मात्रक

1. क्षेत्रफल - [ L²]        :- मीटर²
2. आयतन - [ L³]        :- मीटर³
3. घनत्व - [ML⁻³]       :- कि.ग्रा./मीटर³
4. वेग या चाल - [LT⁻¹]           :- मीटर/सेकंड
5. संवेग - [MLT⁻¹]                :- कि.ग्रा.-मीटर/सेकेंड
6. त्वरण - [LT⁻²]                   :- मीटर/सेकेंड²
7. बल - [MLT⁻²]                  :- न्यूटन
8. कार्य या ऊर्जा - [ML²T⁻²]   :- जूल
9. बल-आघूर्ण - [ML²T⁻²]      :- न्यूटन-मीटर
10. आवेग - [MLT⁻¹]            :- न्यूटन-सेकेंड
11. दाब या प्रतिबल या प्रत्यास्थता गुणांक - [ML⁻¹T⁻²] :- न्यूटन/मीटर² (पास्कल)
12. शक्ति - [ML²T⁻³]           :- वाट
13. पृष्ठ-तनाव या पृष्ठ ऊर्जा या स्प्रिंग का बल नियतांक -[MT⁻²]                               :- न्यूटन/मीटर
14. जड़त्व आघूर्ण - [ML²]    :- किलोग्राम-मीटर²
15. कोणीय संवेग - [ML²T⁻¹]     :- कि.ग्रा. मीटर² सेकेंड²
16. आवृत्ति या कोणीय वेग - [T⁻¹]  :- हर्ट्ज या रेडियन/सेकेंड
17. गुरुत्वाकर्षण नियतांक - [M⁻¹L³T⁻²]  :- न्यूटन मीटर²/किलोग्राम²
18. विशिष्ट ऊष्मा - [L²T⁻²K⁻¹]   :- जूल/कि.ग्रा. × केल्विन
19. ऊष्माधारिता - [ML²T⁻²K⁻¹]       :- जूल/केल्विन
20. गुप्त ऊष्मा - [L²T⁻²]                   :- जूल/किलोग्राम
21. रेखीय प्रसार गुणांक - [K⁻¹]           :- केल्विन⁻¹
22. ऊष्मा चालकता गुणांक - [MLT⁻³K⁻¹]    :- जूल/मीटर × सेकेंड × केल्विन
23. आवेश - [TI]                             :- कुलाम
24. विद्युत विभव या विद्युत वाहक बल -[ML²T⁻³I⁻¹]  :- वोल्ट
25. प्रतिरोध - [ML²T⁻³I⁻²]              :- ओम
26. . चुम्बकीय-आघूर्ण -[L²I]             :- एम्पियर-मीटर²
27. ध्रुव- प्राबल्य -[LI]                       :- एम्पियर-मीटर
28. प्लांक नियतांक - [ML²T⁻¹]         :- जूल-सेकेंड
29. कोणीय त्वरण - [T⁻²]                  :- रेडियन/सेकेंड²
30. विद्युत क्षेत्र तीव्रता - [MLT⁻³I⁻¹]   :- वोल्ट/मीटर
31. स्टेफन नियतांक - [MT⁻³K⁻⁴]      :- वाट/मीटर²/केल्विन⁴
32. विद्युत आघूर्ण - [LTI]                  :- कुलाम-मीटर
33. धारिता - [M⁻¹L⁻²T⁻⁴I²]            :- फैराड
34. विशिष्ट प्रतिरोध - [ML³T⁻³I⁻²]    :- ओम-मीटर
35. प्रेरकत्व - [ML²T⁻²I⁻²]              :- हेनरी
36. चुम्बकशीलता - [MLT⁻²I⁻²]        :- हेनरी/मीटर
37. विद्युतशीलता - [M⁻¹L³T⁴I²]       :- फैराड/मीटर
38. बोल्ट्जमैन नियतांक - [ML²T⁻²K⁻¹]  :- जूल/केल्विन
39. चुम्बकीय फ्लक्स - [ML²T⁻²I⁻¹]  :- वेबर
40. विद्युतीय फ्लक्स - [ML³T⁻³I⁻¹]   :- वोल्ट-मीटर
41. विद्युतीय विस्थापन - [M⁻²TI]       :- कुलाम/मीटर²
42. गुरुत्वीय विभव - [L²T⁻²]             :- जूल/किलोग्राम
43. गुरुत्वीय क्षेत्र - [MLT⁻²]              :- न्यूटन/किलोग्राम
44. विद्युत चालकता - [M⁻¹L⁻³TI²]   :- ओम/मीटर
45. धारा घनत्व -  [L⁻²T⁻¹I]              :- एम्पियर/मीटर²
46. विद्युत् ध्रुवण - [M⁻²I]                 :- कुलाम-मीटर²
47. एन्ट्रॉपी - [ML²T⁻²]                   :- जूल/केल्विन


© Spr Educational  ᴰᵉˢⁱᵍⁿᵉᵈ ᴮʸ  S.P. Ravi
Previous Post Next Post