Chapter 1 - The Rise of Nationalism in Europe | यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

इस पेज में कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान (इतिहास) के अध्याय 1 - यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय का सम्पूर्ण  प्रश्न उत्तर क्रमागत रूप से हिंदी में प्रस्तुत किया गया है ।

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 1 in Hindi Medium


संक्षेप में लिखें -

1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें -

(क) ज्युसेपे मेत्सिनी
(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
(घ) फ्रैंकफ़र्ट संसद
(च) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका

Note :- संक्षेप में टिप्पणी लिखने के लिए आप निचे दिए गये 4 पॉइंट्स में से किसी भी दो पॉइंट को उत्तर के स्थान पर लिख सकते हैं ।

(क) ज्युसेपी मेतिसनी पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर - (क) वह इटली का एक युवा क्रांतिकारी था। वह उदारवादी-राष्ट्रवादी राज्य के विचार से बेहद प्रभावित था। वह इटली का निर्माण इस विचार के अनुसार करना चाहता था। अतः 19वीं सदी के दौरान इटली पर शासन करनेवाले विभिन्न राजतंत्रों को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से वह गुप्त क्रांतिकारी संगठन से जुड़ गया।
(ख) बाद में, उसने स्वयं दो गुप्त संगठनों की स्थापना की; मार्सेई में 'यंग इटली' और बर्न में 'यंग यूरोप' । साथ ही उसने पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों के समान विचार रखने वाले युवाओं को अपना मित्र बनाया।
(ग) मेत्सिनी को विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। अतः, 1831 में इटली के एकीकरण के लिए उसने लिगुरिया में एक विद्रोह का नेतृत्व किया।
(घ) किंतु वह विद्रोह असफल हो गया और उसे निर्वासित कर दिया गया। लेकिन बाद में उसके विचार ने कावूर को प्रोत्साहित किया, जिसने अंततः 19वीं सदी के दूसरे भाग में इटली को एकीकृत किया।

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर - (क) काउंट कैमिलो दे कावूर इटली के सार्डिनिया-पीडमॉण्ट राज्य का प्रमुख मंत्री था। उसने इटली के विभिन्न क्षेत्रों के एकीकरण के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। वह न तो क्रांतिकारी था न ही डेमोक्रेट।

(ख) इतालवी जातीय समूह के अनेक  धनी और शिक्षित सदस्यों की भाँति वह इतालवी की अपेक्षा फ्रेंच भाषा को अधिक बेहतर ढंग से बोलता था।
(ग) फ्रांस से उसके गहरे कूटनीतिक संबंध थे, जिनकी सहायता से 1859 में  उसने ऑस्ट्रिया को पराजित किया था।
(घ) इटली के एकीकरण की खातिर उसने सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के साथ लगे दक्षिणी राज्यों को फतह करने के लिए गैरीबॉल्डी को प्रेरित किया। इस प्रकार, कावूर के प्रयासों के परिणाम स्वरूप, 1861 में इटली का एकीकरण हुआ और विक्टर इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का शासक घोषित किया गया।

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर - (क) 15 वीं सदी में यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा बना |यूरोपीय राष्ट्रवाद से प्रेरणा पाकर यूनानियों ने 1821 ई० में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष प्रारम्भ किया। उस समय पश्चिमी यूरोप का भी समर्थन उसे प्राप्त हुआ।
(ख) साहित्यकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालक बताया तथा यूनानी संस्कृति का महिमामंडन किया। इस प्रकार, यूनान एक मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष करने को तैयार हो गया।
(ग) यूनान के स्वतंत्रता संग्राम में रूमानीवाद को जोड़कर वहाँ के कवि और कलाकारों ने भी ऑटोमन साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष में हिस्सा लिया। ऐसा ही एक प्रसिद्ध कवि था लॉर्ड बॉयरन । लॉर्ड बॉयरन ने धन इकट्ठा किया और बाद में युद्ध में लड़ने भी गया जहाँ 1832 में बुखार से उसकी मृत्यू हो गई।
(घ) अंततः एक लंबे संघर्ष के बाद 1832 ई० में कुस्तुनतुनिया की संधि के द्वारा यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।

(घ) फ्रैंकफर्ट संसद पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर - (क) 18 मई 1848 को 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जा कर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई।
(ख) उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था।
(ग) संसद में मध्य वर्गों का प्रभाव अधिक था जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की  माँगों का विरोध किया जिससे वे उनका समर्थन खो बैठे।
(घ) अंत में सैनिकों को बुलाया गया और एसेंबली भंग होने पर मजबूर हुई।

(च) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर - (क) राष्ट्रवादी संघर्ष में सारे संसार में महिलाओं ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

(ख) राष्ट्रवादी संघर्षों में यद्यपि महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया, फिर भी उदारवादी आंदोलन के अंदर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने का मुद्दा विवादास्पद था।
(ग) महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किए. अखबार शुरू किए तथा राजनीतिक बैठकों में भाग लेना प्रारम्भ किया।
(घ) परिणाम यह हुआ कि महिला अधिकारों के प्रति उदारवादियों तथा शासकों के विचारों में परिवर्तन हुआ तथा महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अधिकारों का मार्ग प्रशस्त हुआ।

2. फ़्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ़्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए ?

उत्तर -  फ्रांस की क्रांति 1789 ई० में शुरू हुई। शीघ्र ही लोगों ने राजा और रानी से छुटकारा पाकर सत्ता की सारी बागडोर अपने हाथ में ले ली। फिर उन्होंने लोगों में एकता और संगठन बनाए रखने के लिए अनेक कदम उठाए जिनमें निम्नांकित प्रमुख हैं :-

(क) सबसे पहले पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया।
(ख) एक नया फ्रांसीसी झंडा-तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राज्यध्वज की जगह ले ली।
(ग) सक्रिय नागरिकों द्वारा चुनी गई एक सभा का गठन किया गया जिसका नाम नेशनल एसेंबली रखा गया।
(घ) राष्ट्र के नाम पर नई स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गईं और शहीदों का गुणगान हुआ।
(ङ) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
(च) आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और नाप-तौल की एक समान व्यवस्था लागू की गई।
(छ) अलग-अलग बोलियों के स्थान पर पेरिस में बोली जाने वाली फ्रेंच भाषा को प्रोत्साहित किया गया।

3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था ?

उत्तर -  फ्रांस में राष्ट्र के प्रतीक के रूप में लोकप्रिय ईसाई नाम मारीआन दिया गया। उसे लाल टोपी, तिरंगा और कलगी के साथ दिखाया गया और उसकी प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों पर लगाई गई ताकि लोगों को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे। इसी प्रकार जर्मनी में, जर्मन राष्ट्र के प्रतीक के रूप में जर्मेनिया को रूपक माना गया। उसे बलूत वृक्ष के पत्तों के मुकुट से सजाया गया क्योंकि जर्मनी में बलूत को वीरता का प्रतीक माना जाता है। जिस तरह से मारिआन तथा जर्मेनिया को चित्रित किया गया उसका व्यापक महत्व था। मारिआन की प्रतिमा को स्वतंत्रता एकता और न्याय का प्रतीक माना गया। इससे जनता में इन उद्दात राजनीतिक भावनाओं का संचार हुआ। इसी प्रकार जर्मेनिया का चित्र स्वतंत्रता, शक्ति, बहादुरी, शांति तथा एक नए युग के सूत्रपात का प्रतीक था। जर्मनी की जनता को इससे राष्ट्र के गौरव का बोध हुआ।

4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।

उत्तर - (क) जर्मन संघ के उदारवादी मध्य वर्ग 1848 में फ्रैंकफर्ट संसद में मिले। इनका उद्देश्य था, जर्मनी को एक राष्ट्र बनाना। लेकिन उनकी योजना असफल हो गई।
(ख) इस योजना को राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दिया।
(ग) प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने जर्मन संघ के एकीकरण के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया।
(घ) सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
(ङ) जनवरी 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

5. अपने शासन वाले क्षेत्रें में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए ?

उत्तर -  नेपोलियन द्वारा किए गए प्रमुख प्रशासनिक सुधार निम्नांकित हैं :-

(क) जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए और कानून के सामने सबकी बराबरी के नियम को लागू किया गया।
(ख) सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया गया।
(ग) प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया गया, सामंती व्यवस्था को खत्म किया गया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई गई।
(घ) शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी-संघों के विभिन्न नियंत्रणों को समाप्त कर दिया गया।
(ङ) यातायात और संचार व्यवस्था में सुधार किया गया।
(च) किसानों, मजदूरों, कारीगरों और नए उद्योगपतियों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतन्त्रता प्रदान की गई।
(छ) मानक नापतौल के पैमाने चलाए गए और एक राष्ट्रीय मुद्रा चलाई गई।
(ज) एक इलाके से दूसरे इलाके में वस्तुओं और पूँजी के आवागमन में सहूलियतें दी गई।

चर्चा करें -

1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है ? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया ?

उत्तर -  1848 की उदारवादियों की क्रांति का मतलब था कि वे स्वतंत्र राष्ट्र राज्य की स्थापना करना चाहते थे, जहाँ क्रांति की स्वतंत्रता और सभी लोगों के लिए समान कानून और स्वतंत्रता हो।

राजनीतिक विचार :-
(क) संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आजादी जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित राष्ट्र-राज्य की स्थापना।
(ख) निरंकुश शासन और पादरीवर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति।

सामाजिक विचार :-
(क) सभी नागरिकों को सामाजिक समानता प्रदान करना।
(ख) महिलाओं को अवयस्क का दर्जा देते हुए उन्हें पिताओं और पतियों के अधीन कर दिया था। 19 वीं सदी में यूरोप में उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं था, जिनके पास निजी संपत्ति नहीं थी।

आर्थिक विचार :-
(क) उदारवादी बाजारों की मुक्ति के पक्षधर थे।
(ख) वे चीजों और पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणों को खत्म करने के पक्ष में थे।

2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।

उत्तर - राष्ट्रवाद के विकास में जितना योगदान युद्धों और क्षेत्रीय विकास का रहा है उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका संस्कृति की भी रही है। कला, काव्य, किस्से-कहानियों और संगीत आदि ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रोत्साहित करने में अपना बड़ा सहयोग दिया। राष्ट्रवाद के उत्थान में संस्कृति का क्या हाथ रहा इसका पहला उदाहरण हमें। कैरोल कर्पिस्की के सांस्कृतिक प्रयत्नों में मिलता है जिसने अपने आपेरा और संगीत में अपने देश पोलैंड का गुनगान किया और पोलेनेस और माजुरका जैसे लोकनृत्य को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया यह ऐसे महान कलाकारों के सांस्कृतिक प्रयासों का ही फल था कि पोलैंड रूस, प्रशिया और आस्ट्रिया जैसी महान शक्तियों के चंगुल से निकलकर स्वतंत्र हो सका। राष्ट्रवाद में संस्कृति के प्रभाव का दूसरा उदाहरण फ्रांसीसी चित्रकार देलाक्रोवा द्वारा उपस्थित किया गया। उसने अपने चित्र 'मसेकर एट किआस' में यह दर्शाने का प्रयत्न किया कि किस प्रकार किआस के द्वीप पर तुर्कों ने कोई 20,000 यूनानियों का वध कर डाला। इस चित्र द्वारा उस चित्रकार ने लोगों की भावनाओं को उभार कर यूनानियों के संघर्ष के प्रति लोगों में सहानुभूति जगाने का प्रयत्न किया। संस्कृति की राष्ट्रवाद के उत्थान में कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है, इसका तीसरा उदाहरण दो जर्मन भाइयों- जैकबग्रिम और विल्हेलम ग्रिम ने प्रस्तुत किया। उन्होंने 1812 ई० में अपनी लोककथाओं का पहला संग्रह प्रकाशित किया। इन कहानियों में उन्होंने फ्रांस के वर्चस्व को जर्मन संस्कृति के लिए बड़ा खतरा बताया और इस प्रकार एक जर्मन राष्ट्रीय पहचान बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए। 

उत्तर - 19 वीं शताब्दी में यूरोप में अनेक देशों में राष्ट्रीयता की भावनाएँ पनपने लगीं और देखते ही देखते वहाँ अनेक राष्ट्र-राज्यों का जन्म हुआ। ऐसे दो देशों का विवरण निम्नांकित है जहाँ राष्ट्रीयता का विकास हुआ :-

बेल्जियम - 1814 ई० की बिआना कांग्रेस ने बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया था परन्तु बेल्जियम के निवासी कट्टर कैथोलिक थे तथा हॉलैंड वाले कट्टर प्रोटेस्टेंट थे। हॉलैंड का शासक केवल हॉलैंड वालों को ही उच्च पद देता था तथा उसने सब विद्यालयों में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा की आज्ञा दे दी थी। 1830 ई० में बेल्जियम वालों ने विद्रोह कर दिया। इंगलैंड ने विद्रोहियों का साथ दिया अतएव हॉलैंड को बेल्जियम छोड़ना पड़ा। 1830 ई० में ही बेल्जियम ने इंगलैंड जैसा संविधान अपने यहाँ लागू कर दिया।

पोलैंड - विआना की कांग्रेस ने पोलैंड का बहुत-सा भाग रूस को दे दिया था। धीरे-धीरे वहाँ के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगने लगी तथा 1848 ई० में पोलैंड में वारसा के स्थान पर क्रांति आरम्भ हुई। रूसी सेनाओं ने इस विद्रोह को बड़ी कठोरता के साथ दबा दिया। विद्रोहियों को यह आशा थी कि उन्हें पश्चिमी यूरोपीय देशों की सहायता प्राप्त होगी, परन्तु ये देश रूस से दुश्मनी मोल लेने को तैयार न थे अतएव विद्रोहियों ने दुबारा विद्रोह करने का साहस न किया।

4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था ?

उत्तर - (क) 18वीं शताब्दी के पहले ब्रितानी राष्ट्र नहीं था। ब्रितानी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगों- अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान जातीय थी। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थीं।
(ख) लेकिन जैसे-जैसे आंग्ल राष्ट्र की धन-दौलत, अहमियत और सत्ता में वृद्धि हुई। वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने में सफल हुआ।
(ग) एक लंबे टकराव और संघर्ष के बाद आंग्ल संसद ने 1688 में राजतंत्र ताकत छीन ली थी। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ जिसके केंद्र में इंग्लैंड था।
(घ) इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच ऐक्ट ऑफ यूनियन (1707) से 'यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का गठन हुआ। इससे इंग्लैंड का स्कॉटलैंड पर अपना प्रभुत्व व्यवहारिक रूप से स्थापित हो गया।
(ङ) स्कॉटिश हाइलैंड्स के निवासी जिन कैथोलिक कुलों ने जब भी अपनी आजादी को व्यक्त करने का प्रयास किया उन्हें जबरदस्त दमन का सामना करना पड़ा।
(च) स्कॉटिश हाइलैंड्स के लोगों को अपनी गेलिक भाषा बोलने या अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने की मनाही थी। उनमें से बहुत सारे लोगों को अपना वतन छोड़ने पर मजबूर किया गया।

5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?

उत्तर - (क) बाल्कन प्रदेशों में अनेक जातीय समूह निवास करते थे।
(ख) बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था जो अपने पतन के कगार पर था।
(ग) स्लाव-बाल्कन के जातीय समूह की उदारवादी और राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके । अतः ये सभी जातीय समूह राष्ट्र राज्य की माँग करने लगे।
(घ) बाल्कन राज्य एक-दूसरे से भारी ईर्ष्या करते थे और हर एक राज्य अपने लिए ज्यादा से ज्यादा इलाका हथियाना चाहते थे।
(ङ) रूस, जर्मनी, इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगरी की हर ताकत बाल्कन पर अन्य शक्तियों की पकड़ को कमजोर करके क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थी। इन सभी कारणों से बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव पनपा।

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